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अनुशासन

महाविद्यालय छात्र-जीवन में अनुशासन को सर्वोच्च मान्यता देता है । इस तथ्य को ध्यान में रखकर महाविद्यालय में प्राचार्य के निर्देशन में अनुशासन परिषद् है जिसका प्रमुख मुख्य अनुशासनाधिकारी है । अनुशासनाधिकारी अपनी सुविधा को ध्यान में रखकर अनुशासन-परिषद् का गठन करेगा, जो अनुशासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में सक्रिय होगा ।
महाविद्यालय में प्रवेश पाने वाले प्रत्येक छात्र से निर्दिष्ट अनुशासन एवं उत्तम आचरण की अपेक्षा की जाती है । यदि कोई छात्र/छात्रा अनुशासनहीनता, चरित्रहीनता अथवा किसी प्रकार का दुर्व्यवहार का दोषी पाया जाता है तो प्राचार्य, अनुशासनाधिकारी की संस्तुति पर अपराध की प्रकृति के अनुसार निम्न दण्ड दे सकते है-

1. अर्थदण्ड
2. निलम्बन ( सस्पेन्शन )
3. निष्कासन ( एक्सपल्सन )
4. निस्सारण ( रेस्टीकेशन )

अर्थदण्ड अपराध की प्रवृति तथा उसकी गम्भीरता पर निश्चित होगा, जो कम से कम १००/- रु० तक होगी | निलम्बन की अवधि में छात्र किसी भी कक्षा में उपस्थित होने की अनुमति न प्राप्त कर सकेगा | निष्कासन सत्रान्त से कम का न होगा तथा निस्सारण का दण्ड जिस वर्ष दिया गया हो उसके अगले दो वर्षो तक प्रभावी होगा | निलम्बन एवं अर्थदण्ड की सजा पाने के बाद यदि कोई छात्र जबरदस्ती कक्षाओं में घुसने का प्रयास करता हुई पाया जाता तो भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार उसके खिलाफ वैधानिक कार्यवाही का भी प्रावधान है | अत्यन्त गम्भीर अपराध करने वाले छात्रों का महाविद्यालय से आजीवन निस्सारण पर भी विचार किया जा सकेगा । अन्य महाविद्यालय में एडमिशन लेकर इस महाविद्यालय की किसी कक्षा में बैठने वाले छात्रों के विरुद्ध भी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
महाविद्यालय में तोड़-फोड़ करना, सामान्य प्रशासन में हिंसात्मक हस्तक्षेप करना, हड़ताल करना, तालाबन्दी करना, गिरोहबन्दी करना, छात्र/छात्राओं, कर्मचारियों,शिक्षकों एवं प्राचार्य के विरुद्ध अनुशासनहीन आचरण करना अथवा ऐसे किसी भी कार्य के लिए प्रेरित करना गम्भीर अपराध माना जाएगा, जिसके लिए एकाधिक दण्ड भी दिया जा सकता है । सामान्य अनुशासन बनाये रखने के लिए महाविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त प्रत्येक छात्र को निम्नलिखित सामान्य नियमों कापालन करना आवश्यक है -:

  • अनुशासनाधिकारी द्वारा निर्देशित प्रत्येक मौखिक एवं लिखित निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा |
  • शिक्षण कार्य चलते समय कमरों के सामने न तो टहले, न ही भीड़ लगायें | बरामदे में अनावश्यक रूप से न टहलें |
  • छात्रों का छात्राओं के कामन-रूम में जाना वर्जित है तथा छात्राओं के आवागमन में बाधा पैदा करना गम्भीर अनुशासनहीनता होगी |
  • महाविद्यालय भवन, दीवारों एवं प्रांगण को साफ रखें तथा किसी प्रकार की भित्ति-लेखन न करें, जिससे परिसर की स्वच्छता प्रभावित हो |
  • महाविद्यालय छोड़ते समय चरित्र-प्रमाण-पत्र अनुशासनाधिकारी या संयोजक छात्र कल्याण समिति के कार्यालय से दिये जायेंगे | चरित्र प्रमाण पत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना पत्र कम से कम दो दिन पूर्व देना होगा |
  • महाविद्यालय के किसी छात्र को एक बार चरित्र प्रमाण-पत्र दिये जाने के बाद दूसरा प्रमाण-पत्र विशेष परिस्थितियों में ही दिया जा सकेगा |
  • किसी भी छात्र/छात्र को दो बार चेतावनी देने के बाद उसके द्वारा की गई अनुशासनहीनता को उसके चरित्र पंजिका में अंकित कर दिया जाएगा |
  • स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र (टी०सी०) प्राप्त करने हेतु पुस्तकालय से अनापत्ति (नो ड्यूज) प्रमाण-पत्र प्राप्त करना आवश्यक है |